नेपाल: संसद में आगजनी, प्रदर्शनकारियों ने कुर्सियाँ उठाकर भागीं, सड़कों पर बिखरे सामान

 


नेपाल एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट के दौर से गुजर रहा है। सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने युवा पीढ़ी को सड़क पर ला खड़ा किया है। सोमवार को यह विरोध इतना हिंसक हो गया कि राजधानी काठमांडू में संसद भवन ही प्रदर्शनकारियों का निशाना बन गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, संसद में आगजनी, तोड़फोड़ और अफरा-तफरी देखी गई। कई लोग कुर्सियाँ उठाकर बाहर भागते नज़र आए और संसद परिसर से धुआँ उठता दिखा।


संसद में मचा हड़कंप

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार—

  • संसद भवन के भीतर आगजनी की गई।
  • अंदर से धमाकों जैसी आवाजें सुनाई दीं।
  • गुस्साए प्रदर्शनकारी कुर्सियाँ और अन्य सामान उठाकर बाहर भागे।
  • बाहर की सड़कों पर दस्तावेज़, पोस्टर और निजी सामान बिखरा पड़ा रहा।

यह नेपाल के इतिहास में उन अभूतपूर्व घटनाओं में से एक है जब संसद परिसर में इस स्तर की तोड़फोड़ हुई है।


सड़कों पर अफरा-तफरी

काठमांडू की सड़कों पर सोमवार को युद्ध जैसे हालात बन गए।

  • प्रदर्शनकारी हजारों की संख्या में संसद भवन तक पहुंचे।
  • पुलिस और सुरक्षा बलों को भीड़ को रोकने में भारी दिक्कत हुई।
  • लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए।
  • कई जगह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं।

रिपोर्ट के अनुसार, अब तक सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं और प्रशासन को कर्फ्यू लगाने पर मजबूर होना पड़ा।


सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ आंदोलन

नेपाल सरकार ने हाल ही में 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार का तर्क था कि ये प्लेटफॉर्म "नेपाल में रजिस्टर्ड नहीं हैं" और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा हैं। लेकिन युवा और छात्र इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं।

  • इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर लाखों नेपाली जुड़े हुए हैं।
  • कई छोटे बिज़नेस, मीडिया हाउस और छात्र इन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं।
  • बैन के बाद युवाओं में गुस्सा भड़क गया और 8 सितंबर से पूरे देश में विरोध शुरू हुआ।

विपक्ष और जनता का गुस्सा

  • विपक्षी दलों ने कहा कि यह घटना सरकार की नाकामी का प्रमाण है।
  • उनका कहना है कि सोशल मीडिया बैन हटाने में देरी हुई तो नेपाल राजनीतिक संकट में फंस सकता है।
  • प्रदर्शनकारी युवा कहते हैं कि यह लड़ाई केवल सोशल मीडिया की नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैये के खिलाफ है।

हालात बेकाबू

नेपाल के हालात इस समय बेहद नाजुक हैं—

  • संसद में आगजनी और हिंसा के बाद हालात नियंत्रण से बाहर होते दिख रहे हैं।
  • काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए।
  • सेना को तैनात कर दिया गया है।

निष्कर्ष

नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरी बहस छेड़ दी है। संसद भवन में हुई आगजनी और हिंसक घटनाएं यह संकेत देती हैं कि हालात गंभीर रूप ले चुके हैं। अगर सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए तो यह आंदोलन देश को बड़े राजनीतिक संकट की ओर धकेल सकता है।


⚠️ Disclaimer
यह लेख केवल समाचार और सूचना के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। इसमें दी गई जानकारी स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। Box24News


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